नताशा डेमकिना:
नताशा डेमकिना (नताल्या निकोलायेवना डेमकिना) का जन्म रूस के सरांस्क में हुआ था। 1987 में, दस साल की उम्र में, नताशा को एक अजीब दृष्टि विकसित हुई।
वह मानव शरीर के अंदर देख सकती थी। यह नताशा के अपेंडिक्स के ऑपरेशन के बाद हुआ।
मैं अपनी माँ के साथ घर पर था और अचानक मुझे एक दृश्य दिखाई दिया। मैं अपनी माँ के शरीर के अंदर देख सकता था और मैंने उन्हें उन अंगों के बारे में बताना शुरू किया जिन्हें मैं देख सकता था।
डेमकिना कहती हैं, "अब मुझे अपनी सामान्य दृष्टि से हटकर उस पर जाना होगा जिसे मैं मेडिकल दृष्टि कहती हूँ। एक सेकंड के एक अंश के लिए, मैं व्यक्ति के अंदर एक रंगीन तस्वीर देखती हूँ और फिर मैं उसका विश्लेषण करना शुरू कर देती हूँ।"
इसके बाद नताशा की कहानी आस-पड़ोस में फैलने लगी। लोग अपनी बीमारी का पता लगाने के लिए उसके घर के बाहर इकट्ठा होने लगे।
अस्पतालों में निदान:
उसकी कहानियाँ सुनकर उसके गृहनगर के डॉक्टरों ने उसका परीक्षण करने का फैसला किया। नताशा को स्थानीय बच्चों के अस्पताल ले जाया गया जहाँ उन्होंने बच्चों का सही निदान किया।
उसने डॉक्टरों को दिखाने के लिए तस्वीरें इस्तेमाल कीं। एक डॉक्टर को उसने उसके पेट के अंदर किसी चीज़ की तस्वीर दिखाई। वह उसका अल्सर था।
अपनी दूरदृष्टि का प्रयोग करते हुए, उन्होंने एक महिला के बारे में डॉक्टरों द्वारा किए गए गलत निदान को भी सही किया, जो कैंसर से पीड़ित थी।
नताशा ने उसकी जांच की और बताया कि यह सिर्फ एक छोटा सा सिस्ट है, कैंसर नहीं। कई जांचों के बाद पता चला कि महिला को वास्तव में कैंसर नहीं है।
वैश्विक मान्यता:
नताशा की कहानियाँ द सन अख़बार के ज़रिए यू.के. तक पहुँचीं। 2004 में नताशा को उसकी दृष्टि का परीक्षण करने के लिए यू.के. लाया गया। नताशा एक साल पहले कार दुर्घटना में घायल हुए व्यक्ति की चोटों का पता लगा सकती थी।
इंग्लैंड में, उन्होंने द मॉर्निंग टीवी शो के एक रेजिडेंट डॉक्टर क्रिस स्टील की भी जांच की। उन्होंने उन्हें सही-सही बताया कि उनके ऑपरेशन हुए हैं और फिर उन्हें बताया कि उन्हें पित्त की पथरी, गुर्दे की पथरी, बढ़े हुए अग्न्याशय और बढ़े हुए जिगर की समस्या है।
डॉक्टर ने तुरंत स्कैन करवाया और पाया कि नताशा द्वारा किए गए सभी निदान सही थे। उन्होंने पाया कि उसकी आंतों में ट्यूमर है, लेकिन यह जानलेवा नहीं था।
डिस्कवरी चैनल ने न्यूयॉर्क में नताशा का परीक्षण करने का फैसला किया। वहां सात मरीज़ थे और नताशा को उनमें से किसी पांच का निदान करना था। नताशा सिर्फ़ चार का निदान कर पाई और उसे बताया गया कि वह परीक्षण में विफल हो गई है।
यह प्रयोग आज भी विवाद का विषय बना हुआ है। बाद में टोक्यो डेन्की विश्वविद्यालय के इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग के प्रोफेसर योशियो माची ने इसका परीक्षण किया।
परीक्षणों के लिए कुछ बुनियादी नियम तय करने के बाद नताशा सफल रही। वह कृत्रिम घुटने का पता लगा सकी और पता लगा सकी कि महिला गर्भवती थी।
बाद में नताशा ने मरीजों से निदान के लिए शुल्क भी लेना शुरू कर दिया।
जनवरी 2006 से नताशा डेमकिना नताल्या डेमकिना (टीएसएसडी) के विशेष निदान केंद्र के लिए काम कर रही हैं।
केंद्र का उद्देश्य असामान्य क्षमता वाले विशेषज्ञों, लोक चिकित्सकों और पारंपरिक चिकित्सा के पेशेवरों के सहयोग से बीमारी का निदान और उपचार करना है।
नताशा डेमकिना अभी भी एक विवादास्पद विषय बनी हुई है।